9 जून 2015

गुणों का भंडार है आम

आम
फलों का राजा’ आम भारत का राष्ट्रीय फल है। दुनिया भर में इसकी एक हजार से भी ज्यादा किस्में मिलती है। यह रसीला फल खाने में तो यह लाजवाब है हीगुणों में भी बेमिसाल है। आम  केवल पौष्टिक तत्वों से भरपूर हैबल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी है। 

औषधि प्रयोग में इसके छिलकेगुठली  रस बहुत उपयोगी है। इसमें कार्बोहाइड्रेटविटामिन सीऔर बी कॉम्प्लेक्सफाइबर और कैल्शियममैग्नीशियमपोटेशियमफॉस्फोरसलौह जैसे खनिज लवण पाए जाते हैंजो हमारे शरीर को कई बीमारियों से बचाते हैं। इस लोकप्रिय फल के और भी कई गुण हैं-
  • सिरदर्द में आम की गुठली के भीतर की गिरी और हरड़ को बराबर मात्रा में दूध के साथ पीसकर मस्तक पर लेप करने से लाभ होता है।
  • आमरस 200 ग्रामअदरक का रस 10 ग्राम और दूध 250 ग्राम मिलाकर पीने से शारीरिक  मानसिक दुर्बलता नष्ट होती है  स्मरण शक्ति बढ़ती है। 
  • आम का दूध के साथ सेवनस्वादिष्ट और रुचिवर्धक होने के साथसाथ वातपित्त कफनाशकबलवर्धक और पौष्टिक होता है। 
  • आम के पत्तों का रस निकालकर हल्का सा गर्म करके कुछ बूँद कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है। 
  • बच्चों को मिट्टी खाने की आदत छुड़ाने के लिए आम की गुठली की गिरी का चूर्ण पानी में मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलाने से फायदा होता है तथा पेट के कीड़े भी मर जाते हैं |
  • पका हुआ आम भूनकर ठंडा करेफिर धीरे -धीरे चूसेंइससे सूखी खांसी में लाभ होता है |
  • रात को आम की कोमल पत्तियों को पानी में भिगो कर, सुबह इन्हें उबाल कर पीने से मधुमेह में लाभ होता है।
  • आम खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से पेट साफ़ होता है और कब्ज़ से छुटकारा मिलता है |
  • आम की गुठली की गिरी सुखाकर इसका बारीक़ चूर्ण बनाकर मंजन की तरह प्रयोग करने से दांतों के सभी रोगों में लाभ होता है |
  • यदि दस्त लग गए हों तो आम की गुठली को पानी में पीसकर नाभि पर लेप करने से आराम मिलता है।
  • कच्चे आम का पना बना कर पीने से लू तथा गर्मी का प्रभाव कम हो जाता है। 
  • कच्चे आम का चुटकी भर नमक के साथ सेवन गर्मियों में उच्च तापमान से बचाता है और शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है।
    आम
  • फोड़े-फुंसियों में आम की छाल पानी में घिसकर लगाने आराम होता है। 
  • ततैयाबिच्छू या मकड़ी के काटने पर अमचूर को पानी में पीसकर विषैले स्थान पर लगाने से विष और फफोले में शीघ्र आराम होता है। 
  • नक्सीर होने पर आम की गुठली की गिरी के रस की दो बूँदें नाक में डालने से रक्तस्राव बंद हो जाता है। 
  • आम के पेड़ की छाल का काढा बनाकर घाव पर लगाने से वह जल्दी भर जाता है।
  • गले के रोग में आम के पत्तों को जलाकर गले के अंदर धूनी देने से गले के रोग दूर होते हैं।
  • आम के सेवन से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बेहतर विकसित होती है।



4 फ़र॰ 2015

स्वाइन फ्लू से ऐसे करें बचाव

स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है। यह वायरस एच1 एन1 के नाम से जाना जाता है और मौसमी फ्लू में भी यह वायरस सक्रिय होता है। जब हम खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जिस भी सतह पर मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में जाता है। यह कण हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं।
स्वाइन फ्लू ने उन लोगो को सबसे अघिक खतरा है जिन्हे निम्न में से कोई बीमारी है जैसे-
  • किडनी या हृदय की बीमारी
  • सांस की बीमारी (दमा)
  • न्यूरोलॉजिकल बीमारी मसलन, पर्किंसन
  • मधुमेह (डायबिटीज)
  • इसके अलावा कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग, 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओ और पाँच साल से कम आयु के बच्चों को भी काफी खतरा है।

कैसे करें स्वाइन फ़्लू से बचाव-
  • रोज सुबह उठकर 5 तुलसी की पत्तियाँ धोकर खाएँ।
  • गिलोय (अमृता)  की एक फुट लंबी डाल का हिस्सा, तुलसी की 5-6 पत्तियों के साथ 15 मिनट तक उबालें। स्वाद अनुसार सेंधा नमक या मिश्री मिलाकर, कुनकुना होने पर इस काढ़े को पिएँ।
  • लहसुन की दो कलियाँ रोज सुबह खाली पेट कुनकुने पानी के साथ लेने से रोग प्रतिरोधक शक्ति में इजाफा होगा।
  • तुलसी के पत्ते और काली मिर्च के दाने पीसकर चाय में डालकर दिन में दो-तीन बार पीने से लाभ होगा।
  • रात को सोते समय दूध में ½ चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर पीने से फायदा होगा। 
  • आंवला पाउडर (आधा चम्मच) को आधा कप पानी में मिलाकर दिन में दो बार पिएं। इससे रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
  • रोज ग्वारपाठे का 1 चम्मच गूदा पानी के साथ लें। इससे जोड़ों के दर्द कम होने से साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी। 
इसके अलावा, शरीर के प्रतिरक्षा और श्वसन तंत्र को मजबूत करने के लिये रोज प्राणायाम करें। घर का ताजा बना खाना खाएं। बासी खाना और काफी दिनों से फ्रिज में रखी चीजें खाएं। पानी ज्यादा पिएं। ताजे फल, हरी सब्जियां खाएं। रसदार फलों का सेवन करें। मौसमी, संतरा, आलूबुखारा, सेब, तरबूज और अनार ज़रूर ले। दिन में कई बार अपने हाथ एंटिबायोटिक साबुन से धोएँ। अल्कोहोलिक क्लींजर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।